रामनगर की जनसभा में उस वक़्त फॉरेस्ट के बड़े बड़े दिग्गज अधिकारी और नेता भौंचक्के रह गए जब सांसद बलूनी ने एक ऐसे तथ्य को उजागर कर दिया जिसे न तो सरकारी महकमें के अधिकारी जानते थे और न ही वहां के जनप्रतिनिधि इसकी जानकारी रखते थे।
दरअसल, गढ़वाल के द्वार कोटद्वार और कुमाऊँ के रामनगर को सीधे जोड़ने वाली जिस कंडी मार्ग का जिक्र कर प्रदेश के राजनेता सियासी बयानबाज़ी करते आये हैं या अधिकारी योजना बनाने की डींग हांकते थे, उसी कंडी मार्ग का सही सही ब्यौरा कभी भी तथ्यात्मक रूप में नहीं रखा गया है। आम लोग तो छोड़िए सरकारी अफसर या फारेस्ट के अधिकारी भी ठीक ठीक नहीं बता पाते हैं कि कंडी मार्ग कहाँ से शुरू होता है और कहां जाकर खत्म होता है।
दरअसल रामनगर में रविवार को जनसभा के दौरान सांसद अनिल बलूनी ने कंडी मार्ग के इतिहास और उसपर परिचालन की कई अनोखी जानकारियां बताएं। सांसद बलूनी ने बताया कि अंग्रेजों के राज में जंगलों को वनाग्नि से बचाने वाली जो फायर लाइन बनाई गई थी उसे उस वक़्त बैल गाड़ियों के इस्तेमाल में लाया जाता था, अंग्रेज़ी में बैल गाड़ी को बुलोक कार्ट कहा जाता है, और चलन में लोग कार्ट रोड बोलने लगे और धीरे धीरे कार्ट रोड कंडी रोड़ में तब्दील हो गया। सांसद बलूनी ने बताया कि- रामनगर के नजदीक दामोदर के ढेरा से आगे शिकारी कुआं से आगे होते हुए कार्ट रोड और फिर फायर लाइन से गुजरते हुए कंडी मार्ग की शुरुआत होती है।
सांसद बलूनी ने कहा कि साल 2011 में उन्होंने प्रदेश के तत्कालीन प्रिंसिपल कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट श्रीकांत चन्दोला जी के साथ 2 दिनों तक पैदल इस मार्ग का दौरा किया था। बलूनी ने कहा कि उन्हें इस मार्ग के चप्पे चप्पे की जानकारी है और वे इसे सही मायने में राज्य की लाइफ लाइन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।