उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
UP News: इन दिनों प्रदेशभर में डेंगू (Dengue) के मामले इतने ज्यादा आ रहे हैं कि हॉस्पिटलों (Hospitals) में मरीजों के लिए जगह ही नहीं बची है। हर दिन काफी संख्या में डेंगू के मरीज मिल रहे हैं, जिसको लेकर सरकार भी सतर्क हो गई है। इस डेंगू से लोगों को काफी परेशानी हो रही है, लेकिन इसके साथ ही इस बार बिना बुखार के ही लोगों के प्लेटलेट्स कम हो जा रहे हैं।
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कुछ ऐसी ही खबर आ रही है प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) के पड़ोसी जिले से जहां के रहने वाला राकेश सिंह को 5 दिन से फीवर आ रहा था। तीन दिन बाद एलाइजा टेस्ट में डेंगू की पुष्टि हुई। 5वें दिन के बाद फीवर (Fever) आना बंद हो गया। इसके बाद भी राकेश का प्लेटलेट (Platelet) तेजी से कम हो रहा था। प्लेटलेट की संख्या 20 हजार पहुंच गई। आनन-फानन में परिजन राजधानी के अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां जांच के दौरान प्लेटलेट की संख्या 9 हजार मिली। डॉक्टरों ने राकेश को 3 यूनिट प्लेटलेट चढ़ाई। फिर धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार हुआ।
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डेंगू में तो राकेश सिर्फ एक उदाहरण हैं। ऐसे कई डेंगू संक्रमित (Dengue Infected) गंभीर हालत में हर दिन अस्पतालों में पहुंच रहे है। मरीजों को ICU में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। गंभीर मरीजों को प्लेटलेट भी चढ़ाया जा रहा है। तब कहीं उनकी हालत में सुधार हो रही है। दरअसल, यूपी में डेंगू के मरीजों में तेजी से बढ़ रहे हैं। 15 मई से लेकर अब तक 5393 डेंगू के मरीज आ चुके हैं। जबकि पिछले 24 घंटे में 219 नए मरीज सामने आए हैं। हर दिन लगभग 200 केस बढ़ रहे हैं। महानगरों के साथ ही अब छोटे जिलों में भी रोज 15-20 मरीज मिल रहे हैं।
राजधानी में सबसे ज्यादा केस
यूपी में सबसे ज्यादा केस लखनऊ (Lucknow) में (24) हैं। इसके बाद रामपुर (22) और फिर गौतमबुद्ध नगर (Gautam Buddha Nagar) (21) में केस मिले हैं। लोगों में बिना फीवर के प्लेटलेट तेजी से गिर रहे हैं। गंभीर हालत के मरीजों का ICU में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर मरीजों को प्लेटलेट भी चढ़ाया जा रहा है।
अब आपको हम डेंगू और इसके टाइप के बारे में बताते हैं
लखनऊ के बलरामपुर (Balrampur) अस्पताल के निदेशक और पूर्व में राज्य के संचारी रोग के नोडल अफसर रहे डॉ. अविनाश सिंह ने बताया कि डेंगू 4 प्रकार का होता है। पहला टाइप -1 (डेन -1) दूसरा, टाइप-2 (डेन -2) (डेंगू शॉक सिंड्रोम) तीसरा, टाइप-3 ( डेन -3) चौथा, टाइप-4 (डेन -4) शामिल है।
उन्होंने कहा कि इनमें से सबसे खतरनाक टाइप 2 यानी डेन 2 डेंगू वायरस है। माना जाता है कि मानव के पूरे जीवन काल में सिर्फ 4 बार ही डेंगू हो सकता है। क्योंकि एक बार डेंगू होने से फिर उस डेंगू के लिए आजीवन प्रतिरोधक क्षमता बन जाती हैं। इसके अलावा हर बार पहले से ज्यादा गंभीर संक्रमण होने के चांस रहते हैं।
अब आपको डेंगू की जांच के बारे में बताते हैं
डेंगू की जांच 2 तरीके से होती है। पहला कार्ड टेस्ट, NS1 एंटीजन नाम के इस टेस्ट को फर्स्ट रीनिंग कहा जाता है। इसके बाद भी बुखार जैसे लक्षण रहते है तो मरीज को एलाइजा टेस्ट यानी IGG और IGM टेस्ट किया जाता है। संक्रमण होने पर शुरुआत के 3 दिनों तक संभव है कि एलाइजा के ये 2 दोनों कंटेंट नेगेटिव आ जाएं। यही कारण है कि ये जांच 3 दिन के बाद ही करवाने की सलाह दी जाती है।
डेन- 2 की चपेट में आने पर होती है वैंटिलेटर की जरूरत
डॉ. अविनाश सिंह ने बताया कि आमतौर पर डेंगू का असर 7 से 10 दिनों तक देखने को मिलना है। यदि मरीज में डेन- 2 वायरस है, तो यह बेहद गंभीर रूप ले लेता है। डेन- 2 वायरस में ब्लड वेसल से प्लाज्मा लीकेज की होना शुरू हो जाता है। इनके बीच का टिश्यू स्पेस कम हो जाता है। जिसके चलते ब्लड प्रेशर में तेजी से गिरावट होती है। इसका असर ये होता हैं कि तेजी से संक्रमित शॉक में चला जाता है। प्लेटलेट की संख्या भी तेजी से कम होने लगती है। साथ ही शरीर में पानी की भारी कमी के चलते इंटरनल ब्लीडिंग भी शुरू हो सकती है। इस दौरान मरीज को वैंटिलेटर तक पर रखना पड़ सकता है। डेन- 2 वायरस में 50 से 60% तक मोर्टेलिटी रेट माना जाता है।
ब्रेन और लिवर को कर सकता खराब
एक डॉक्टर ने बताया कि डेंगू का दूसरा टाइप खतरनाक है। इसके चलते डेंगू इंसेफलोपैथी (dengue encephalopathy) की चांस रहती है। जिसका असर गंभीर रूप से लिवर पर पड़ता है। गंभीर हालात में लिवर फेलियर तक की नौबत आ जाती है। कुछ एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि डेंगू का इंफ्लामेशन मायोकार्डिटिस यानी हार्ट मसल में इंफ्लामेशन दे सकता हैं। जिसके चलते हार्ट कोलैप्स करने के चांस भी रहते हैं।
क्या करें डेंगू होने पर
डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू के लक्षण शरीर में दिखे या उसकी पुष्टि हो तो तुरंत एक्सपर्ट की सलाह लें। कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के कभी न लें। खासतौर पर बच्चों के लिए भी बुखार के लिए पेरासिटामोल के अलावा अन्य कोई भी दवा बिना पूछे न दें। सेफ साइड के लिए ये कहा जा सकता है कि जो संक्रमित पहले से ही बीपी, शुगर या हार्ट, किडनी, लिवर के मर्ज की चपेट में है तो वो हालात बिगड़ने का इंतजार न करें। समय रहते अस्पताल में भर्ती होना ज्यादा बेहतर होगा। शरीर में फ्लूइड मैनेजमेंट सबसे अहम है। कई समस्या होने पर बेहतर होगा कि IV फ्लूइड के जरिए शरीर मे पानी की कमी न होने दी जाए।
नोएडा में मिला डेंगू का खतरनाक वेरिएंट डेन-2 स्ट्रेन
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार समेत देश के कई राज्यों में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यूपी में डेंगू के 3400 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। गाजियाबाद, नोएडा और लखनऊ में मिलाकर डेंगू के 1100 से ज्यादा केस सामने आए हैं। गाजियाबाद और नोएडा में 4 दिनों में तीन लोगों की जान भी जा चुकी है। नोएडा में डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन पाया गया है, जो बाकी स्ट्रेन के मुकाबले घातक होता है।
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