उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड की 3 वजह..जानिए कब मिलेगी राहत?

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Harsh Winter: उत्तर भारत में इस साल कड़ाके की ठंड से लोगों के हाल बेहाल हैं। इस साल की ठंडक का रूप बदला हुआ नजर आ रहा है। इस बार पहाड़ से बर्फ नदारद है, मैदानी इलाकों में भी बारिश नहीं हो रही है लेकिन इसके बाद भी ठंड लोगों को कंपा रखी है। इस बार उत्तर भारत (North India) के मैदानी इलाकों में भीषण शीतलहर चल रही है। यहां 29 दिसंबर से अधिकतम तापमान सामान्य से 5-8 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया, जिससे कंपकंपा देने वाली ठंड पड़ रही है।
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29 दिसंबर से लगातार ठीके से धूप नहीं निकल रही है और शीतलहर के साथ कोहरा अपने शबाब पर हैगै। 7-8 जनवरी के दौरान थोड़ी राहत जरूर महसूस हुई थी लेकिन पश्चिमी विक्षोभ से प्रभावित होने के कारण फिर से 8 जनवरी के बाद ठंड की वही स्थिति वापस लौट आई। साथ ही 12 से 17 जनवरी के बीच उत्तर पश्चिम भारत के कई इलाकों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे भी दर्ज किया गया।

25 दिसंबर के बाद से उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी क्षेत्र में बहुत घना कोहरा छाए रहने से मौसम की स्थिति में और खराब हुई। 14 जनवरी को कोहरे ने अपना भयंकर रूप ले लिया, जिससे उत्तर भारत के मैदानी इलाके अमृतसर से डिब्रूगढ़ और पूरे हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में विजिबिलिटी जीरो के पास पहुंच गई।

मौसम विभाग (IMD) ने कठोर सर्दियों के मौसम के मुख्य रूप से तीन कारण बताए हैं, इन कारणों में उत्तर पश्चिम भारत पर किसी भी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की कमी, प्रचलित अल-नीनो की स्थिति और एक मजबूत जेट स्ट्रीम शामिल है।

वेस्टर्न डिस्टर्बेस की कमी

ज्यादातर दिसंबर (December) से जनवरी (January) तक उत्तर पश्चिम भारत में 5-7 वेस्टर्न डिस्टर्बेस देखे जाते हैं, जो जमा देने वाली ठंड को कम करने में प्रभावित होते हैं। लेकिन, इस सर्दी में ऐसे वेस्टर्न डिस्टर्बेस अनुपस्थित रहे। इस बार केवल दो वेस्टर्न डिस्टर्बेस देखे गए। एक दिसंबर में और दूसरा जनवरी में जिनका प्रभाव गुजरात, उत्तरी महाराष्ट्र, पूर्वी राजस्थान और मध्य प्रदेश तक ही रहा।

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इसके साथ ही पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में सामान्य से कम बारिश होने की वजह से भी ठंड ज्यादा पड़ रही है। इस क्षेत्र में बारिश और बर्फबारी में काफी कम हुई है जो औसत से लगभग 80% कम थी, जिससे शीतलहर की तीव्रता बढ़ गई है।

अल-नीनो की स्थिति

वेस्टर्न डिस्टर्बेस (Western Disturbances) में कमी को भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के ऊपर प्रचलित अल-नीनो स्थितियों के लिए भी कारण माना जाता है। यह घटना उत्तर भारत में कम शीतलहर के दिनों को दिखाती है, यह प्रवृत्ति वर्तमान मौसम में भी ध्यान देने योग्य है। मौसम विभाग ने कठोर सर्दियों के मौसम के मुख्य रूप से तीन कारण बताए, इसमें उत्तर पश्चिम भारत पर किसी भी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की कमी, प्रचलित अल-नीनो की स्थिति और एक मजबूत जेट स्ट्रीम है।

मजबूत जेट स्ट्रीम

बता दें कि उत्तर भारत में समुद्र तल से 12 किमी ऊपर, लगभग 250-320 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली तेज़ जेट स्ट्रीम हवाओं ने ठंड के मौसम को काफी बढ़ा दिया है। मजबूत जेट स्ट्रीम पैटर्न जारी रहने की संभावना है, जिससे अगले कुछ दिनों तक और उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड देखने को मिलेगी।