नोएडा-ग्रेटर नोएडा के फ्लैट खरीदार खून के आंसू रो रहे हैं। उन्होंने बिल्डर को पैसा तो चुका दिया लेकिन अपने ही फ्लैट के लिए जूते घिस रहे हैं। आपको जानकार हैरानी होगी प्राधिकरण के ग्रुप हाउसिंग का करीब 26 हजार करोड़ बिल्डरों के यहां फंसा हुआ है। ये पैसा अब तक वापस जा जाना चाहिए था लेकिन बिल्डरों ने जमा नहीं किया। इसे वापस लाने के लिए प्राधिकरण ने बिल्डरों को कई मौके व विकल्प दिए। लेकिन इसका फायदा बिल्डरों ने नहीं लिया।
एक नजर में देखे तो नोएडा में 116 प्रोजेक्ट है। जिसमें 1 लाख 66 हजार 878 यूनिट सेंक्शन है। जिसमें से 99 हजार 39 यूनिट का ओसी जारी हो चुका है। 61 हजार 699 यूनिट की सब लीज हो चुकी है। और 22 हजार 576 का ओसी जारी हो चुका है लेकिन इनकी सब लीज नहीं हो सकी है। क्योंकि बिल्डर ने प्राधिकरण में पैसा जमा नहीं किया है। हालांकि प्राधिकरण ने दावा किया कि उनके दिए गए विकल्प के बाद 10 मार्च 2023 तक यानी एक साल में 3475 सबलीज की गई।
31 मार्च के बाद जारी होंगी आरसी, सील होगी बिना बिके फ्लैट
प्राधिकरण ने बिल्डरों के लिए रि शिड्यूलमेंट स्कीम निकाली थी। इसकी आखिरी तिथि 31 मार्च है। हालांकि हाल ही में क्रेडाई और प्राधिकरण के बीच हुई बैठक में बिल्डरों ने स्कीम को छह महीने के लिए बढ़ाने और हरियाणा की तर्ज पर ओटीएस स्कीम लाने के लिए कहा था। प्राधिकरण ने इसे मना कर दिया। अब 10 ऐसे ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट व बिल्डर चिह्नित हो गए हैं।
इनकी आरसी जारी करने की प्रक्रिया भी प्राधिकरण में शुरू हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि हर प्रोजेक्ट में बकायादार बिल्डर के खिलाफ आरसी नहीं जारी होगी। अगर प्रोजेक्ट में बिल्डर के गैर बिके फ्लैट या व्यवसायिक संपत्तियां हैं तो उनको सील करवाया जाएगा। अगर जमीन खाली पड़ी हुई है तो उसे चिह्नित कर वापस कब्जे में लेगी। यह दोनों विकल्प जहां नहीं होंगे उनको आरसी की सूची में डाला जाएगा।
बिल्डरों पर बकाया विभिन्न मदों में
- आम्रपाली प्रोजेक्ट पर बकाया 3580.78 करोड़ (कोर्ट केस)
- यूनिटेक प्रोजेक्ट पर बकाया 9760.06 करोड़ (कोर्ट केस)
- एनसीएलटी प्रोजेक्ट (15) प्रोजेक्ट पर 3996.96 करोड़
- कंपलीट प्रोजेक्ट पर बकाया 1529.73 करोड़
- इनकंपलीट प्रोजेक्ट पर बकाया 7140.68 करोड़
डूबने की कगार पर ये 15 बिल्डर
नोएडा की 15 बिल्डर परियोजनाएं दिवालिया होने की प्रक्रिया चल रही है। इनके मामले एनसीएलटी में चल रहे हैं। नोएडा प्राधिकरण का भी करीब 3996.96 करोड़ रुपए फंस गए हैं। पैसे लेने के लिए प्राधिकरण सख्ती भी नहीं बरत पा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि 15 में से चार ऐसी परियोजनाएं हैं जिनके कुल स्वीकृत फ्लैट में से एक की भी रजिस्ट्री नहीं हो सकी है। रजिस्ट्री के अलावा सोसाइटी से जुड़े आईएफएमएम का पैसा समेत सभी काम आईआरपी के जरिए होंगे।
इनमें सुपरटेक लिमिटेड, सेक्टर-74, अजनारा इंडिया सेक्टर-74, रेड फोर्ट जहांगीर प्रॉपर्टीज, सेक्टर-100, ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज सेक्टर-110, आईवीआरसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट, सेक्टर-119, शुभकामना बुल्डटैक सेक्टर-137, लॉजिक्स सिटी सेक्टर-143, थ्री सी प्रोजेक्ट सेक्टर-168, टुडे होम्स नोएडा सेक्टर-135, सुपरटेक लिमिटेड सेक्टर-137, जीएसएस प्रोकॉन सेक्टर-143बी, ऑप्यूलेंट इंफ्राडेवलपर्स सेक्टर-168, हेसिंडा प्रोजेक्ट सेक्टर-107, लॉजिक्स इंफ्राटेक सेक्टर-143, डोसाइल बुल्डटेक सेक्टर-143 है।
(सौ.भास्कर)