नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 1BHK फ्लैट गायब! अथॉरिटी भी हैरान

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा
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Noida News: लोगों का सपना होता है कि बड़े शहरों में उनका भी एक छोटा सा घर हो लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आने वाले कुछ ही सालों में आपको राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा-ग्रेटर नोएडा (Noida-Greater Noida) में छोटे घर खोजने पर भी नहीं मिलेंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि छोटे फ्लैटों को लेकर आई इस जानकारी से नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) भी हैरान है। जबकि यूपी के इन चमकते शहरों में किराए पर रहने वाली बहुत बड़ी आबादी छोटा घर खरीदना चाहती है। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा में भी लोग छोटे घरों को खोज रहे हैं।

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बेहद दिलचस्‍प है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बिल्‍डर अब वन बीएचके और टू बीएचके फ्लैट (2BHK flats) नहीं बना रहे हैं। अब लगता है कि ऐसा समय आने वाला है कि अब फ्लैट का साइज किसी का स्टेटस नहीं बता पाएगा। जहां मध्यम वर्गीय भी छोटे फ्लैट में इन्वेस्ट करने से घबरा रहे हैं तो वहीं बिल्‍डर भी 1 बीएचके और 2 बीएचके की जगह पर 3, 4 और 5बीएचके फ्लैट्स कंस्‍ट्रक्‍शन में जा रहे हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों से वन बीएचके और टू बीएचके फ्लैटों की संख्या में काफी कमी आई है।

नोएडा अथॉरिटी भी परेशान

नोएडा अथॉरिटी के प्लानिंग विभाग (Planning Department) की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 4 साल में 12 ग्रुप हाउसिंग के नए प्रॉजेक्ट आए। इनमें सभी प्रॉजेक्ट में 3, 4 और 5 बीएचके के फ्लैट हैं। इन फ्लैटों में भी प्लस स्टडी और प्लस सर्वेंट रूम वाले फ्लैट ज्यादा हैं। पहले से चल रही ग्रुप हाउसिंग के 36 प्रॉजेक्ट में भी 1 बीएचके का कोई नक्शा आया ही नहीं है।

वहीं 2बीएचके को लेकर चर्चा करें तो 6 हजार फ्लैट के पास हुए नक्शों की तुलना में इनकी संख्या 300 से भी कम निकली है। वन बीएचके का फ्लैट 1 भी नहीं है। ग्रेनो अथॉरिटी के प्लानिंग विभाग के अधिकारियों ने भी बीते कई सालों से 1 बीएचके फ्लैट का नक्शा नए प्रॉजेक्ट में नहीं आने की जानकारी दी है। जबकि एक समय था कि नोएडा में स्टूडियो अपार्टमेंट और वन बीएचके के कई प्रॉजेक्ट चल रहे थे। इससे यह साफ हो जाता है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा हाउसिंग प्रोजेक्ट में छोटे घरों की डिमांड और सेल्स में कमी देखने को मिल रही है।

महंगे हो रहें है फ्लैट के दाम

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वन और टू बीएचके फ्लैट की मांग कम के कारण देश के बड़े शहरों में अब बड़ी बिल्डिंग में फ्लैट लेने का सपना मिडिल क्लास के बजट से बाहर जाता दिख रहा है। इसके साथ ही इन शहरों में बिल्‍डरों के फ्रॉड के बाद भरोसा करने में हो रही परेशानी के कारण लोग छोटे फ्लैटों को रीसेल में लेना काफी पसंद कर रहे हैं।

कोरोना भी बना कारण

कोविड के बाद से बड़े शहरों में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। ऐसे में बायर्स अब बड़े घरों की मांग ज्यादा करने लग रह हैं। क्रेडाई एनसीआर के अध्‍यक्ष और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ के मुताबिक पिछले कुछ समय से देखें तो होम बायर्स बड़े घर को लेकर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। विशेषकर कोविड के बाद लोगों के कामकाज करने और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा जगह और एक्स्ट्रा कमरों की मांग कर रहे हैं। इंवेस्टमेंट में भी बायर्स बड़े घरों की तरफ ज्यादा रुख कर रहे हैं जिससे लग्जरी रियल एस्टेट में ज्यादा लॉन्च देखे गए हैं। डेवलपर्स भी अब इसी सोच के साथ अपनी योजना बना रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले समय में हाई रेंज वाली प्रोपर्टी की मांग और बढ़ेगी और छोटे घरों की मांग और बिक्री में और कमी आएगी।

आखिर क्यों कम हो रही है छोटे फ्लैट की मांग?

एसकेए ग्रुप के डायरेक्‍टर संजय शर्मा के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद देश के कई हिस्सों में बड़े घरों की मांग काफी तेजी से बढ़ी है क्योंकि महामारी के कारण लोगों का काम करने, सीखने और जीवन जीने के तरीके में काफी बदलाव आया है। इससे आवासीय घरों की मांग में बदलाव आया है। एस्कॉन इन्फ्रा रियलटर्स के एमडी नीरज शर्मा के अनुसार बड़े घरों की मांग ने रियल एस्टेट मार्केट को कई तरह से प्रभावित किया है। बड़े घरों की मांग सिर्फ शहरी इलाकों में ही नहीं, बल्कि उनके आस-पास के इलाकों जैसे-नोएडा एक्सप्रेसवे, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, जेवर में भी किफायती घर आज भी मौजूद हैं। घरों की मांग में काफी तेजी आई है। एकांत में काम करने के चलन ने लोगों की हाउसिंग डिमांड को बदल दिया है।