Lok Sabha Elections: महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) भले ही 27 साल के लंबे संघर्ष के बाद संसद (Parliament) में पास हो चुका है। लेकिन नेताओं और पार्टियों की जहनी सोच से पास होने में इसे अभी वक्त लगेगा शायद। लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन स्टार्ट हो चुका है। एक से बढ़कर एक रईस, दबंग, पूर्व मंत्री, विधायक को टिकट दिए गए और जा रहे हैं, लेकिन पार्टियां चाहे जितने दावे कर लें, उनकी डायरी में महिला उम्मीदवारों के नाम बस इक्का-दुक्का ही देखने को मिलेंगे।
जिस तरह से देश और खासकर पंजाब में पार्टियों ने अभी तक जिन उम्मीदवारों की घोषणा हुई है, उनमें से बीजेपी की ओर से सिर्फ 3 महिला उम्मीदवार, पटियाला से परनीत कौर, होशियारपुर से अनिता सोम प्रकाश और बठिंडा से परमाल कौर सिद्धू को टिकट दिया गया है। सांसद व बादल परिवार की बहू हरसिमरत कौर पंजाब में बठिंडा लोकसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल (SAD) की ओर से अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। लेकिन उनको फिलहाल टिकट नहीं दिया गया है। इधर आम आदमी पार्टी ने पंजाब में 13 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार फाइनल कर दिए हैं लेकिन उसमें एक भी महिला उम्मीदवार का नाम नहीं है। यही बात कांग्रेस में भी सामने आई है। हालांकि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को पार्टी के स्टार प्रचारक के तौर पर नई भूमिका दी है।
जब तक महिला आरक्षण बिल पास नहीं हुआ था, तब हर दिन बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। हम ऐसा करेंगे, हम वैसा करेंगे। इस पर खूब राजनीतक बहसें होती रही। देश की लगभग सभी पार्टियां महिलाओं को आगे बढ़ाने के दावे करने लगी और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाती रहती हैं। अब ये भारी मतों से पास हो गया लेकिन लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) 2024 में टिकट बंटवारे को लेकर इसकी असलियत सामने आ गई।
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देश को आजादी मिलने के बाद से लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कभी भी 12 प्रतिशत तक नहीं गया। इस असमानता का एक सबसे बड़ा कारण चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या है। साल 1999 के बाद से 5 लोकसभा चुनावों में महिला प्रत्याशियों का प्रतिशत बहुत ही कम रहा। 1999 में कुल 4,648 उम्मीदवारों में से केवल 6.11 प्रतिशत महिलाएं थीं। 2004 में यह मामूली सुधार के साथ यहां आकंड़ा 6.53 फीसद पहुंची। इसके बाद साल 2009 में केवल 7 प्रतिशत महिला प्रत्याशी थीं, जो 2014 में 8.01 तक पहुंच गईं।
लोकसभा के पहले चरण में सिर्फ 8 फीसदी महिलाएं
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) को चुनाव आयोग (Election Commission) 7 चरणों में कराएगा। पहला चरण 19 अप्रैल को है, जिसमें 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोटिंग होना है। पहले चरण में कुल 1,625 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है, जिनमें 1,491 पुरुष और केवल 134 (8 प्रतिशत) महिलाएं हैं।
अरुणाचल प्रदेश में 14 (1 महिला), मेघालय में 10 उम्मीदवार (2 महिलाएं), मिजोरम में 6 उम्मीदवार (1 महिला), पुडुचेरी में 26 उम्मीदवार (3 महिलाएं), राजस्थान में 114 उम्मीदवार (12 महिलाएं), सिक्किम में 14 उम्मीदवार (1 महिला), उत्तर प्रदेश में 80 उम्मीदवार (7 महिलाएं), उत्तराखंड में 55 उम्मीदवार (4 महिलाएं), असम में 35 उम्मीदवार (4 महिलाएं), मध्य प्रदेश में 88 उम्मीदवार (7 महिलाएं), महाराष्ट्र में 97 उम्मीदवार (7 महिलाएं), बिहार 38 उम्मीदवार (3 महिलाएं), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 12 उम्मीदवार मैदान (2 महिलाएं), मिजोरम 6 उम्मीदवार, (1 महिला) और पश्चिम बंगाल में 37 उम्मीदवार (4 महिलाएं) मैदान में हैं।
यूपी की इन सीटों पर महिला प्रत्याशी
बीजेपी-मथुरा, धौरहरा, अमेठी, सुलतानपुर, फतेहपुर, बाराबंकी, लालगंज।
सपा-कैराना, मुरादाबाद, मेरठ, कन्नौज, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, गोंडा, गोरखपुर।
बसपा-आगरा, इटावा, लालगंज।
कांग्रेस-गाजियाबाद
इस बार और कम हो गई भागीदारी
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी में 78 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। इनमें 10 (12.82%) महिला प्रत्याशी थीं। कांग्रेस ने 67 में 12 टिकट महिलाओं को दिए थे, जो 17.91% था। सपा और बसपा का गठबंधन था। सपा ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ा और 6 महिलाओं को उम्मीदवाप बनाया था। इस तरह महिलाओं की भागीदारी 16.21% थी। बसपा ने 38 में 4 टिकट महिलाओं को दिए थे, जिनकी भागीदारी 10.52% थी। इन दलों की पिछली बार से तुलना की जाए तो सिर्फ सपा में महिलाओं का प्रतिशत पिछली बार से अधिक है। बीजेपी, कांग्रेस और बसपा में पिछली बार की तुलना में महिलाओं की भागीदारी कम हुई है।
संसद में सबसे ज्यादा महिलाएं यूपी से संसद में पहुंचती हैं, लेकिन उनकी हिस्सेदारी बढ़ने की जगह कम ही हुई है। यूपी से 2009 और 2014 में 13-13 महिलाएं संसद पहुंची थीं। 2019 में यह संख्या घटकर 11 रह गई। यह कुल सांसदों का 13.75% है।
मतदान में आगे महिला
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में 59.56% महिलाओं ने मतदान किया था तो वहीं 58.52% पुरुषों ने मतदान किया था। यानी वोट डालने वाली महिलाओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 1.04 प्रतिशत ज्यादा रहा था।