Noida-ग्रेटर नोएडा के ‘एस्क्रो अकाउंट’ से बिल्डरों में खौफ़ क्यों?

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उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया

Property in Noida : ख़बर नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बिल्डर और एस्क्रो अकाउंट को लेकर है। ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स के बिल्डर एस्क्रो अकाउंट (Escrow Account) खुलवाने को तैयार नहीं हैं। अभी तक केवल 13 परियोजना के ही खाते खुल सके हैं। आपको बता दें कि नोएडा में बिल्डरों की ग्रुप हाउसिंग से जुड़ी करीब 118 परियोजनाएं हैं।

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अथॉरिटी के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने पिछले दिनों समीक्षा कर 59 प्रॉजेक्ट के बिल्डरों को 26 अगस्त तक का समय दिया था। खाते खुलवाने के लिए सख्त आदेश भी जारी किए थे। लेकिन बिल्डरों ने इस डेडलाइन की भी परवाह नहीं की। शनिवार तक सिर्फ 13 प्रॉजेक्ट में एस्क्रो अकाउंट खुले हैं।
क्या है एस्क्रो अकाउंट ?
एस्क्रो खाते का मतलब एक अस्थायी खाता है जो विलय और अधिग्रहण, उच्च मूल्य वाली रियल एस्टेट परियोजनाओं, सीमा पार परियोजनाओं आदि जैसे बड़े मूल्य के लेनदेन को पूरा करने में मदद करता है। एस्क्रो खाते के तहत, एक खरीदार पूरा करने के लिए आवश्यक धनराशि जमा करेगा। हालाँकि, यह खाता सभी नियमों को पूरा करने के बाद ही विक्रेताओं को धनराशि जारी करता है।
एस्क्रो अकाउंट कैसे काम करता है ?
एस्क्रो अकाउंट सबसे पहले कॉन्ट्रैक्ट के तय नियमों के मुताबिक खरीददार से अकाउंट में रुपए जमा कराता है । इसके बाद जब विक्रेता खरीददार को पहले से सेवा प्रदान करता है और खरीददार उससे संतुष्ट हो जाता है, तभी जाकर एस्क्रो अकाउंट विक्रेता के खाते में रुपए भुगतान करता है । Escrow Account तीसरे पक्ष की तरह काम करता है ।
एस्क्रो खाते का लाभ
यह दोनों पक्षों को सुरक्षा प्रदान करता है।
ये खाते किसी लेनदेन को सरल और परेशानी मुक्त तरीके से उसके निष्कर्ष तक ले जाने में मदद करते हैं।
एस्क्रो से जुड़ा एक और फायदा यह है कि वे इसमें शामिल पक्षों की पहचान गुप्त रखते हैं। यह प्रावधान पार्टियों को बिना किसी दुर्भावना के डर के स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देता है।
एस्क्रो खाता वित्तीय लेनदेन का एक अच्छा तरीका है। ये अस्थायी खाते हैं जो अपना उद्देश्य पूरा होने पर बंद हो जाते हैं।

26 अगस्त तक की दी थी समयसीमा
सीईओ ने 18 अगस्त को बिल्डरों के साथ बैठक की थी। बैठक में एस्क्रो अकाउंट खुलवाने के लिए ग्रुप हाउसिंग और वित्त विभाग से जानकारी लेने के बाद सामने आया कि बीते 2 महीने में सिर्फ 6 प्रॉजेक्ट के बिल्डर ने ही खाते खुलवाए हैं। इस पर सीईओ ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने निर्देश दिया था कि हर हाल में 26 अगस्त तक सभी परियोजना के खाते खुलवाएं, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी।
सिर्फ 13 प्रोजेक्ट के ही खुले खाते
खास बात यह है कि इस डेडलाइन को बीते हुए एक सप्ताह हो गया है लेकिन अभी तक सिर्फ 13 परियोजना के ही खाते खुल सके हैं। इस बारे में नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ का कहना है कि 7 और प्रॉजेक्ट में अकाउंट खोले जाने की प्रक्रिया चल रही है। निर्देश के बावजूद आगे नहीं आने वाले बिल्डरों पर आरसी जारी करने समेत अन्य नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। नोएडा में बिल्डरों की ग्रुप हाउसिंग से जुड़ी करीब 118 परियोजनाएं हैं।
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