BJP के खेवनहार बने राजकिशोर..पूर्वांचल की राजनीति पर क्या होगा असर

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UP Political News: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी दल अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। 4 चरणों में उम्मीदवारों की किस्मत EVM में बंद हो चुकी है। बाकी 3 चरणों का इंतज़ार हो रहा है। जिसके लिए सभी दल अपनी तरफ से पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के बस्ती (Basti) में इस बार मुकाबला काफी कठिन माना जा रहा है। हालांकि पूर्वांचल के बाहुबली नेता और सपा सरकार में मंत्री रहे राजकिशोर सिंह (Rajkishore Singh) के बीजेपी में आने से बस्ती में चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल गया है। बस्ती से बीजेपी ने हरीश द्विवेदी को फिर से टिकट दिया है। पूर्वांचल के एक और क्षत्रिय नेता के बीजेपी में आने से जहां बस्ती और आस पास के क्षेत्र को साधने में बीजेपी को काफी मदद मिल रही है जिससे मौजूदा सांसद और प्रत्याशी हरीश द्विवेदी की राह आसान माना जा रही है।

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पूर्वांचल के बाहुबली नेता और राजकिशोर सिंह और उनके भाई बृजकिशोर सिंह डिम्पल ने लोकसभा चुनाव के बीच ही बीजेपी में शामिल हुए हैं। गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में दोनों भाइयों ने बीजेपी कार्यालय (BJP office) में पार्टी की सदस्यता ली। इस दौरान डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, यूपी सरकार में मंत्री जेपीएस राठौड़ और बस्ती से सांसद हरीश द्विवेदी मौजूद थे।

बस्ती सीट पर राजकिशोर सिंह का प्रभाव

आपको बता दें कि यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के करीबी रहे पूर्वांचल के बाहुबली नेता राजकिशोर सिंह का बस्ती में काफी प्रभाव माना जाता है। ख़ासतौर पर क्षत्रिय वोटरों पर प्रभाव की वजह से इसे बीजेपी की रणनीतिक पहल मानी जा रही है। राजकिशोर सिंह और उनके भाई बृजकिशोर सिंह को पार्टी में शामिल कराने से बस्ती में अब बीजेपी की राह आसान हो गयी है।

कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे राजकिशोर इस समय राजनीति में हाशिए पर थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से नाराज़गी के बाद उनको सपा का साथ छोड़ना पड़ा। साल 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस से लड़ा था और तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार भी करीबी उनके निर्दलीय बस्ती से चुनाव लड़ने का दावा कर रहे थे। ऐसे में राजनीतिक रसूख़ और बस्ती में प्रभाव के कारण से लोकसभा चुनाव में राजकिशोर न सिर्फ़ बीजेपी प्रत्याशी को वोटों का नुकसान पहुंचा सकते थे बल्कि उस क्षेत्र में क्षत्रिय वोटों को प्रभावित भी कर सकते थे।

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आपको बता दें कि बस्ती में ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज को एक करने में इसे बीजेपी की रणनीति के ही रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में बीजेपी ने राजकिशोर को शामिल करा कर न सिर्फ़ बस्ती सीट का कांटा निकाल दिया है, बल्कि पूर्वांचल चुनाव से पहले क्षत्रिय समाज को संदेश भी देने की कोशिश की है।

बाहुबली नेताओं में राजकिशोर सिंह की गिनती

पूर्व सपा नेता राजकिशोर की गिनती पूर्वांचल के बाहुबली नेताओं में होती है। राजकिशोर बीएसपी और कांग्रेस में भी रह चुके हैं और उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था, जिसमें वह तीसरे स्थान पर रहे थे। लेकिन उनकी पहचान समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ी हुई है। कभी मुलायम सिंह यादव के काफी खास माने जाने वाले राजकिशोर तीन बार विधायक और मुलायम सिंह और अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे हैं। राजकिशोर के भाई बृजकिशोर सिंह डिम्पल भी पूर्व राज्य मंत्री हैं। पिछले साल निकाय चुनाव से पहले मायावती ने दोनों भाइयों को बीएसपी से निष्कासित कर दिया था।