Rajasthan: CM भजनलाल के गढ़ में क्यों हारी BJP? वजह जानिए

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Rajasthan News: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी राजस्थान में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। यहां तक कि सीएम भजन लाल शर्मा (CM Bhajan Lal Sharma) के गृह जिले में भी बीजेपी (BJP) को हार मिली है। बीजेपी ने पूर्वी राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान जो किला मजबूती से खड़ा किया था, वह लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में ढह गया। बीजेपी के दिग्गज नेता अपना किला बचाने में सफल नहीं हो पाए। कामां विधायक नौक्षम चौधरी की लाज लोकसभा चुनाव में नहीं बच सकी है। कांग्रेस की संजना जाटव ने 51 हजार 983 वोटों से हराईं। इनमें से संजना को 46 हजार 168 वोट की लीड तो सिर्फ कामां विधानसभा क्षेत्र से ही मिली है।
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Pic Social Media

माना यह भी जा रहा है कि बीजेपी विधायक एवं राज्यमंत्री की पकड़ कुछ ही दिनों में क्षेत्र में कमजोर हो गई है। लेकिन अपने बूथ से विधायक कई जगह अपने प्रत्याशी को वोट दिलाने में सफल हुए हैं। यह वोट भी उमीद के मुताबिक नहीं हैं। इसके कारण यह है कि प्रदेश में अच्छे बहुमत से बीजेपी की सरकार है। इसके बाद भी लोग जिले में असंतुष्ट ही नजर आए हैं।

बीजेपी की हार के ये है कारण

जाट आंदोलन

जाट आरक्षण आंदोलन (Jat Reservation Movement) में बीजेपी का साथ मांगा गया, लेकिन सरकार अनदेखी करती रही और अंदरखाने विरोध में बदल गया। यही कारण रहा कि जाट मतदाता मतदान के समय तक असंतुष्ट नजर आया। ऐसे में शुरुआत में भारी माना जा रही बीजेपी का पलड़ा बेहद कमजोर स्थिति में पहुंच गया और बीजेपी इसे साध नहीं सकी। नतीजा यह रहा कि ज्यादातर स्थानों पर नाराजगी की वजह से बीजेपी को चुनाव में जीत न मिली।

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कोली कार्ड

बीजेपी बीते दो चुनावों से कोली कार्ड ही चल रही है। दो बार यह कार्ड लगातार जनता के बीच चला, लेकिन हर बार एक ही कार्ड रिपीट होना जनता को नहीं सुहाया, जबकि कांग्रेस ने चेहरा बदलकर उसका फायदा लिया। शुरुआती दौर में टिकट वितरण के समय ही बीजेपी में अंदरखाने इसका विरोध हुआ था, लेकिन पार्टी इसे समझ न पाई। रंजीता कोली का टिकट कटा और ऋतु बनावत को उस समय तवज्जो नहीं मिल सकी। फिर से रामस्वरूप कोली ही टिकट देना बीजेपी के लिए सही साबित नहीं हुआ।

कार्यकर्ताओं में नाराजगी

बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह कार्यकर्ताओं की नाराजगी रही है। यही कारण है कि हार की समीक्षा करने तक में पदाधिकारी कतराते नजर आ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि समीक्षा बैठक में कार्यकर्ता तल्ख अंदाज में अपनी बात रख सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि जिला संगठन को दरकिनार करके कुछ बाहरी व्यक्तियों का चुनाव में हस्तक्षेप रहा। ऐसे में मूल कार्यकर्ता हांशिये पर चला गया। इसका परिणाम यह हुआ कि बीजेपी को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी है।

भरतपुर से संजना ने लहराया परचम

राजस्थान के भरतपुर से चुनाव जीतने वाली कांग्रेस की संजना जाटव मात्र 26 साल की हैं। संजना लोकसभा से पहले कठूमर विधानसभा चुनाव भी लड़ी थीं, उस समय कठूमर से बीजेपी प्रत्याशी रमेश खींची को 79 हजार 756 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस की संजना जाटव को 79 हजार 347 वोट मिले थे। ऐसे में उनकी मात्र 409 मतों से हार हुई थी। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में उन पर दांव खेला और उनके सिर जीत का सेहरा बंधा। आपको बता दें कि संजना एलएलबी की पढ़ाई कर रही हैं।