sunworld residency arista

Noida: इस सोसायटी के लोग खुद कह रहे हैं..यहां भूलकर भी फ्लैट नहीं लेना

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Noida: 12 साल से बिल्डर पर बायर्स को धोखा देने का आरोप

Noida News : ख़बर नोएडा सेक्टर-168 स्थित सनवर्ल्ड रेजीडेंसी एरिस्टा(sunworld residency arista) जहां लोग बिल्डर की कारगुजारियों से इतना परेशान हो गए हैं कि उन्होंने नए फ्लैट बायर्स से कम से कम इस सोसायटी में फ्लैट लेने से पहले 100 बार सोचने की अपील की है।  आज फ्लैट बायर्स ने बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर सोसाइटी के गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया।

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सन एरिस्टा वेलफेयर सोसाइटी (एसडब्ल्यूएस) के नेतृत्व में आयोजित इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में निवासी शामिल हुए। गौरतलब है कि इस परियोजना को शुरू में पांच निदेशकों- दिनेश गोयल, धर्मवीर सिंह, वाईके गुप्ता, सौरव गुप्ता और संजीव गुप्ता ने लॉन्च किया था। हालांकि, अब सभी मूल निदेशकों ने इस्तीफा दे दिया है, जो निवासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं : निवासी 

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि बिल्डर ने उनके द्वारा फ्लैट और बुनियादी सुविधाओं के लिए दिए गए पैसे को अन्य परियोजनाओं में डायवर्ट कर दिया है। यह परियोजना 2012 में शुरू की गई थी, लेकिन 12 साल बीत जाने के बावजूद बिल्डर ने अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं लिया है।

इतना ही नहीं, सोसाइटी में आवश्यक बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। निवासियों का कहना है कि उन्हें न केवल रजिस्ट्री की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि बुनियादी सुविधाओं की कमी भी उनके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही है।

बिल्डर पर आरोप 

एसडब्ल्यूएस के सचिव आशीष वर्मा ने बताया कि सनवर्ड एरिस्टा के निवासियों ने बिल्डर के लुभावने विज्ञापनों में फंसकर अपनी जीवन भर की कमाई यहां लगा दी। लेकिन बिल्डर प्रबंधन की लापरवाही से सभी परेशान हो चुके हैं। बायर्स की प्रमुख मांगों में बिल्डर के खातों की फोरेंसिक ऑडिट कराना और बिल्डर-बायर्स के बीच एस्क्रो खाता खुलवाना शामिल है।

निवासियों की मांग 

एसडब्ल्यूएस के अध्यक्ष मन्नू प्रताप सिंह ने बताया कि 19 जुलाई को नोएडा प्राधिकरण के जीएम प्लानिंग से मुलाकात की और उन्होंने बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। हम संबंधित अधिकारियों से हस्तक्षेप करने और एक निष्पक्ष समाधान सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं। उनका कहना है कि एस्क्रो खाते से यह सुनिश्चित होगा कि उनका पैसा उनकी सुविधाओं में ही लगाया जाए, न कि बिल्डर इसे अन्य परियोजनाओं में डायवर्ट कर सके।

(Tricity से साभार)