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Noida: Bank मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट कर 52 लाख ठगे..ऐसे बनाया शिकार

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Noida बैंक मैनेजर से साइबर ठगों ने की 52 लाख की ठगी

Noida News: इन दिनों साइबर क्राइम (Cyber ​​Crime) तेजी से बढ़ रहा है। साइबर अपराधी लोगों को अपने जाल में फंसा कर ठगी की घटना को अंजाम देते हैं। ऐसा ही कुछ मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के नोएडा (Noida) से। जहां एक प्राइवेट बैंक के प्रोजेक्ट मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) में रखकर एक सप्ताह के भीतर 52 लाख 50 हजार रुपये की बड़ी ठगी कर ली गई है। साइबर ठगों ने पीड़ित को मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में फंसाने की धमकी देकर विभिन्न बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर करवाया। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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Pic Social media

अनजान नंबर से आया था फोन

आपको बता दें कि मूल रूप से झारखंड (Jharkhand) के निवासी 26 साल के जय राज शर्मा नोएडा के सेक्टर-20 में रहते हैं और सेक्टर-16 स्थित एक प्राइवेट बैंक में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। बीते 11 अगस्त को जब जय राज अपने घर पर थे, तभी उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से फोन आता है। कॉलर ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) का कर्मचारी बताते हुए दावा किया कि उनका मोबाइल नंबर संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाया गया है और दो घंटे के भीतर बंद कर दिया जाएगा।

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मोबाइल में 1 दबाते ही…..

इसके बाद कॉलर ने ज्यादा जानकारी के लिए मोबाइल कीपैड पर 1 दबाने के लिए कहा। जैसे ही जय राज ने 1 दबाया वैसे ही उनकी बात कथित रूप से मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी से पास पहुंच गई। इस अधिकारी ने जय राज को बताया कि वे जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल के 7 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में लिप्त हैं और उनके खिलाफ कोलाबा (मुंबई) में केस दर्ज हुआ है।

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की कही बात

इसके बाद अपराधियों ने जय राज को स्काइप कॉल पर जोड़ा, जहां कथित मुंबई पुलिस अधिकारियों ने उनसे गहन पूछताछ की। इसके बाद उन्हें फर्जी एफआईआर और कानूनी नोटिस भी दिखाया, जिससे जय काफी डर गए। आगे उन्हें बताया कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इसकी सुनवाई अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में डिजिटल माध्यम से होगी।

नकली डिजिटल सुनवाई भी हुई

अगले दिन एक नकली डिजिटल कोर्ट में सुनवाई भी हुई, जहां जय राज से उनके बैंक खातों, स्टॉक और म्यूचुअल फंड्स से संबंधित विस्तार से जानकारी ली गई। फर्जी जज ने आदेश दिया कि सभी धनराशि एक सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट में ट्रांसफर की जाए। जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसकी जांच करे। अपराधियों ने विश्वास दिलाया कि जांच पूरी होने के बाद उनका सारा पैसा मूल खातों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

पिता से भी पैसे लेकर भेजे

अपराधियों के दबाव में आकर जय राज ने पहले 29 लाख रुपये उन बैंक खातों में ट्रांसफर किए। जब उन्हें और धनराशि ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया, तो उन्होंने अपने पिता से भी पैसे लेकर ठगों द्वारा बताए गए खातों में भेज दिए। कुल मिलाकर सात दिनों के भीतर 52 लाख 50 हजार रुपये की ठगी हुई। इस दौरान जय राज को लगातार स्काइप कॉल पर ऑनलाइन रहने और अपने मोबाइल एवं लैपटॉप के माध्यम से अपराधियों के संपर्क में रहने के लिए मजबूर किया गया। वे अपने दैनिक कार्यों पर भी जाते रहे, लेकिन मानसिक रूप से अत्यधिक दबाव में थे।

पीड़ित ने की पुलिस से शिकायत

जब ठगों की मांगें बढ़ती गईं और उन्हें और पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा जाने लगा तो जय राज को शक हुआ। इसपर उन्होंने आगे धनराशि ट्रांसफर करने से इंकार कर दिया, जिसके बाद अपराधियों ने उनसे सभी संपर्क तोड़ दिए। वास्तविकता का अहसास होते ही जय राज ने तुरंत पुलिस में शिकायत केस कराई।

जांच में जुटी पुलिस

इसके बाद नोएडा पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज की और साइबर क्राइम यूनिट को जांच सौंपी। पुलिस अधिकारी के मुताबिक अपराधियों ने अत्यंत योजनाबद्ध तरीके से इस घटना को अंजाम दिया है और संभवतः एक संगठित गिरोह का काम है। पुलिस विभिन्न बैंकों के खातों की जांच कर रही है जिनमें धनराशि ट्रांसफर की गई थी और कॉल डिटेल्स के माध्यम से अपराधियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है।