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Noida Authority का ‘धन कुबेर’..जानिए किस पूर्व अधिकारी के पास मिला करोड़ों का हीरा?

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Noida Authority: करोड़ों का हीरा रखने वाले धन कुबरे को जान लीजिए

Noida News: नोएडा प्राधिकरण के पूर्व अधिकारी से जुड़ी यह खबर पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे। आपको बता दें कि ईडी ने शारदा एक्सपोर्ट कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित घर पर छापा मारा तो 7 करोड़ रुपए के हीरे बरामद हुए। आपको बता दें कि मोहिंदर सिंह (Mohinder Singh) नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के सीईओ और चेयरमैन (Chairman) रह चुके हैं। नोएडा में उनसे जुड़े कई मामलों की शासन स्तर पर जांच चल रही है। लगभग 5 साल तक नोएडा और ग्रेटर-नोएडा प्राधिकरण (Greater-Noida Authority) में कार्यरत रहे। एक खबर के अनुसार सही मायने में देखें तो नोएडा प्राधिकरण को कंगाल बनाने में इनका बड़ा रोल है।
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जानिए इनका नोएडा प्राधिकरण में कार्यकाल

30 नवंबर 2007 से 14 दिसंबर 2010 तक नोएडा प्राधिकरण में सीईओ रहे।
1 जनवरी 2010 से 19 जुलाई 2011 अध्यक्ष रहे।
1 नवंबर 2011 से 20 मार्च 2012 तक चेयरमैन और सीईओ दोनों का पद इनके ही पास था।

आपको बता दें कि मोहिंदर सिंह 30 नवंबर 2007 को नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) में बतौर सीईओ के रूप में नियुक्त हुए। उस समय प्रदेश में बसपा की सरकार थी। इस दौरान नियमों को ताक पर रखकर बड़े स्तर पर बिल्डरों को लाभ पहुंचाया गया। शासनादेश के बिना ही नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने अपनी वीटो का प्रयोग करते हुए मात्र 10 प्रतिशत लेकर बिल्डरों को जमीन आवंटित की गई। बता दें कि पहले 30 प्रतिशत पैसा लिया जाता था।

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स्पोर्ट्स सिटी (Sports City) की विभिन्न परियोजना में पीएएसी की इसी आपत्ति का जवाब आज तक प्राधिकरण नहीं दे पा रहा है। आखिर बिल्डर को यह लाभ किस शासनादेश के अनुसार दिया गया। पूरा सेक्टर-75 इसी आवंटन दर पर दिया गया। यही कारण है कि बिल्डरों छोटे-छोटे कंसोर्शियम बनाए और जमकर जमीन आवंटित कराई गई।

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26 हजार करोड़ का बकाया

बता दें कि आज तक बिल्डर पर प्राधिकरण का लगभग 26 हजार करोड़ रुपए बकाया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लाखों बायर्स की रजिस्ट्री रुकी हुई है और न ही उनको सपनों का घर मिल पाया। इसका कारण है कि बिल्डरों ने जमीन ली और योजना लॉन्च की। इसके बाद बुकिंग अमाउंट लेकर दूसरी कंपनियों में पैसा लगा दिया। इस रकम को वापस लेने के लिए प्रदेश सरकार अब अमिताभ कांत की सिफारिश लेकर आई। लेकिन अब तक बकाया पैसा वापस नहीं मिला है।

इतने करोड़ का फॉर्म हाउस घोटाला

इसी दौरान यमुना नदी के किनारे योजना लाकर सस्ते दामों पर फॉर्म हाउस का भी आवंन किया गया। प्राधिकरण ने दो 2008 और 2010 में ओपेन एंड स्कीम के तहत दो बार में फॉर्म हाउस योजना निकाली। दोनों बार में 305 आवेदन लिए गए। इसमे से 157 आवंटियों को 18 लाख 37 हजार 340 वर्गमीटर प्लॉट आवंटन किया गया। सीएजी ने दिखाया कि 2008-09 में 22 आवंटियों को 3100 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से प्लॉट आवंटित किए। जबकि उस समय का रेट 15 हजार 914 रुपए था। इसी दर से 2009-10 में भी 43 प्लॉटों का आवंटन किया गया। उस दौरान प्रचलित दर 16 हजार 996 रुपए थी। 2010-11 में 83 प्लॉटों का आवंटन 3500 रुपए के अनुसार से किया गया। जबकि दर 17 हजार 556 रुपए थी। ये घोटाला करीब 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का था।

चल रही है जांच

11 अक्टूबर 2008 से लेकर 28 अगस्त 2012 के बीच प्लॉट की कई योजना लाई गई। कॉर्पोरेट के उपयोग के 2023 प्लॉट को संस्थागत श्रेणी में बेच दिया गया। इससे प्राधिकरण को 3031 करोड़ रुपए राजस्व नहीं मिल सका। इसके साथ ही नोएडा में बना राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल जिसे एमओयू के तहत मात्र 84 करोड़ में तैयार किया गया। इस मामले में हजार करोड़ रुपए के घोटाला किया गया। इसकी जांच अभी चल रही है।

टि्वन टावर मामले में भी केस दर्ज

आम्रपाली बिल्डर को गलत तरीके से साल 2007 से लेकर 2010-11 तक जमीन आवंटित की गई। साथ सुपरटेक को टि्वन टावर के लिए गलत तरीके से एफएआर बेच दिया गया। उसे ग्रीन बेल्ट में निर्माण की अनुमति भी दी गई।
इसका लाभ लेकर ही सुपरटेक ने सियान और एपेक्स नाम के दो गगनचुंबी इमारत बनाए। जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 अगस्त 2022 को गिरा दिया गया। इस मामले में विजिलेंस विभाग ने मोहिंदर सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया है।

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मोहिंदर सिंह के समय में सबसे ज्यादा घोटाला

आपको बता दें कि मोहिंदर सिंह बसपा नेताओं के बड़े खास माने जाते हैं। साल 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद सीएजी ने 2005 से 2015 तक प्राधिकरण में वित्तीय अनियमितता की जांच की। जिसमें सबसे ज्यादा वित्तीय घोटाले भी मोहिंदर सिंह के समय ही हुआ मिला। फिलहाल इस पूरे मामले की जांच चल रही है।