Hit and Run Case Law: केंद्र सरकार के द्वारा लाये गए नए हिट एंड रन केस के कानून के खिलाफ देश भर के ट्रक ड्राइवर सड़को पर उतर गए हैं जिसकी वजह से जगह जगह लंबा जाम देखने को मिल रहा है। ड्राइवरों के साथ तमाम ट्रांसपोर्ट यूनियन (Transport Union) भी इस कानून के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। आल इंडिया मोटर ट्रांसपार्ट कांग्रेस (गैर राजनीतिक ) ने आज दोपहर में इस संबंध में देशभर के ट्रांसपोर्ट यूनियनों की तत्काल बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
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दरअसल जो केंद्र सरकार ने नया हिट एंड रन केस (Hit and Run Case) कानून में बदलाव किया है उसके तहत अब अगर गाड़ी ड्राइवर हादसे के बाद पुलिस को सूचना दिए बिना फरार होता है तो उसे 10 साल की सजा होगी और 7 लाख तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। पहले धारा 104 में लापरवाही से या फिर जल्दबाजी से हुई मौत में दो वर्ष की सजा या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान था। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार, भारत में हिट एंड रन के मामलों में हर साल 50 हजार लोग गंवाते हैं जान। जिसके चलते ये बड़ा कदम उठाना पड़ा है।
नए कानून का विरोध करने वाले ड्राइवर का कहना है कि अगर दुर्घटना के बाद वे मौके से फरार होते हैं तो उन्हें 10 साल की सजा हो जाएगी। अगर वे मौके पर ही रुक जाते हैं तो भीड़ उन पर हमला करके पीट पीट कर मार देगी।जिसके चलते उन्हें भारी नुकसान हर हाल में उठाना पड़ेगा।
क्या होता है ‘हिट एंड रन केस’
हिट एंड रन (Hit and Run) का सीधा सा अर्थ है कि दुर्घटना के बाद ड्राइवर का गाड़ी के साथ मौके से भाग जाना। अगर किसी गाड़ी से किसी को टक्कर लग गई घायल की मदद करने के बजाय ड्राइवर गाड़ी को लेकर फरार हो जाता है तो ऐसे केस हिट एंड रन में गिने जाते हैं। हिट एंड रन के पुराने कानून के मुताबिक ऐसे मामलों में ड्राइवर को जमानत भी मिल जाती थी और अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान था। कई बार हम देखते हैं कि दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अगर एक्सीडेंट करने वाला समय पर अस्पताल पहुंचा देता है तो उसकी जान बच जाती है। हालांकि, एक्सीडेंट के बाद मौके से भागने के केस को हिट एंड रन कहा जाता है। ऐसी ही केस में सख्ती का प्रावधान किया गया है।
हड़ताल का कहा कहा हुआ असर!
हिट एंड रन’ के नए कानून के विरोध में सोमवार को मध्य प्रदेश समेत देश के 8 राज्यों राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब और गुजरात में ट्रक, डंपर, बस आदि वाहनों के पहिए थम गए। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत अन्य शहरों में बस स्टैंड से बसों का संचालन नहीं हुआ। प्रदेश के पांच लाख से ज्यादा ट्रक-डंपरों के रुकने से प्रदेशभर में पेट्रोल, अनाज, सब्जियों की सप्लाई ठप हो गई। प्रदेशभर के पेट्रोल पंपों पर लंबी भीड़ रही। भोपाल में 152 पेट्रोल पंपों में से शाम तक 18 पंप ड्राई हो गए थे। कई स्कूलों में छुट्टी: मप्र स्कूल वैन एसोसिएशन ने मंगलवार से स्कूल वैन और बसों का संचालन बंद करने का निर्णय लिया है। इसको देखते हुए राजधानी के कई स्कूलों ने छुट्टी घोषित कर दी है।
यही नहीं अगर ये हड़ताल यूही बढ़ता रहा तो आने वाले समय में फल-सब्जी दूध से लेकर जीवनयापन करने की कई सारी चीजें जल्द ही महंगा हो जाएगी। जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
ड्राइवरों की मांग है कि जब तक सरकार हिट एंड रन पर लाए गए नए कानून को वापस नहीं लेती, तब तक बस और ट्रक नहीं चलाएंगे। केंद्र सरकार के नए परिवहन नियमों का ट्रांसपोर्ट कारोबारियों ने भी विरोध किया है।अब देखने वाली बात है कि सरकार क्या ट्रक ड्राइवर के द्वारा किये गए हड़ताल की वजह से झुकेगी या ये नया कानून ऐसे ही बना रहेगा।