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Health: बदलते मौसम में बच्चों को हो सकती है ये बीमारियां, Parents इन बातों का रखें ध्यान

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Health: बदलते मौसम में कहीं बच्चे हो न जाएं बीमार, Parents रखें इन बातों का विशेष ध्यान

Health News: इन दिनों कभी बारिश तो कभी तेज धूप से लगातार मौसम बदल रहा है। मौसम के इस बदलाव का सबसे ज्यााद असर बच्चों पर देखने को मिलता है। बच्चों की इम्यूनिटी (Immunity) कमजोर होने के कारण उन्हें अक्सर सर्दी-जुकाम या खांसी जैसी समस्या इन दिनों हो रही है। बदलते मौसम की वजह से बच्चों की सेहत पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। कुछ पेरेंट्स इसे केवल सर्दी-खांसी समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन यह एक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं…

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ब्रीदिंग प्रॉब्लम के कारण

अस्थमा की समस्या भी हो सकती है

ज्यादा दिनों तक खांसी और जुकाम होने पर बच्चों को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है या अस्थमा जैसी बीमारी हो जाती है। मेडिकल एक्सपर्ट के अनुसार अस्थमा होने पर श्वासनली सिकुड़ने लगती है, जिसके कारण से बच्चों को सांस लेने में समस्या होने लगती है। ऐसे में बच्चों को जितना हो सके गंदगी से दूर रखें, क्योंकी इस कारण से घुटन भी होने लगती है। अस्थमा की शिकायत होने पर बच्चों को इनहेलर देने से उन्हें इस समस्या से राहत मिल सकती है। लेकिन किसी भी दवा को देने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

एलर्जी की भी हो सकती है

इस मौसम में बच्चों में एलर्जी (Allergies) होना एक आम बात हो गई है, लेकिन इसके कारण से बच्चों की रेस्पिरेटरी हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इस कारण बच्चों को खांसी-जुकाम, नाक बंद होना और त्वचा में खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं। एलर्जिक राइनाइटिस एक ऐसी एलर्जी है, जो धूल, जानवरों या एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों के संपर्क के कारण होती है। ऐसी स्थिति में बहुत ज्यादा छींक आना और नेजल कंजेशन होता है। त्वचा में खुजली की समस्या भी इस समय बढ़ सकती है। इसे कंट्रोल करने के लिए बच्चों को एलर्जिक चीजों से दूर रखना चाहिए। साथ ही ज्यादा तेल और मसाले वाले डिश भी नहीं खिलाना चाहिए।

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इंफेक्शन बन सकता है सांस नली में सूजन का कारण

वायरल रेस्पिरेटरी इंफेक्शन की वजह से भी सांस की नली में सूजन हो सकती है। इसमें क्रुप और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) शामिल है, जिसके कारण बच्चों को सांस लेने में समस्या हो सकती है। इंफेक्शन के कारण खांसी के दौरान बच्चे की आवाज में भारीपन आ जाता है। इसके साथ ही नाक बंद होना और बुखार आना इस समस्या का दूसरा संकेत हो सकता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए पेरेंट्स को घर में ह्यूमिडिफायर लगाना चाहिए। इसके साथ ही बच्चे को भाप दिलवाएं।

जेनेटिक प्रॉब्लम

आपको बता दें कि कुछ बच्चों को जन्म से ही सांस से जुड़ी बीमारी होती है, जिसके कारण से सांस लेने में समस्या आती है। फेफड़ों से जुड़ी पुरानी बीमारियां या सिस्टिक फाइब्रोसिस फेफड़ों पर प्रभाव डालती है। ऐसे में बच्चे का बाल चिकित्सा पल्मोनोलॉजिस्ट से ट्रीटमेंट करवाना बेहतर विकल्प है।

नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। इनको केवल सुझाव के रूप में ही लें। इस तरह की किसी भी जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।