गुड न्यूज़: Noida-एक्सटेंशन में 1 लाख फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता साफ

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कुमार विकास, ख़बरीमीडिया

नोएडा-ग्रेटर नोएडा वेस्ट के उन लाखों फ्लैट खरीदारों के लिए ये किसी संजीवनी से कम नहीं है जो अपने फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं होने से परेशान हैं। नोएडा-ग्रेनो में ऐसे हजारों फ्लैट बायर्स हैं जो रोज इधर-उधर के धक्के खा रहे हैं। बहुत से बायर्स ऐसे हैं जिनका लोन नहीं हो पा रहा है। हजारों बायर्स ऐसे भी हैं, जिन्होंने लोन लेकर फ्लैट खरीद लिया। हर महीने लोन की ईएमआई भी भर रहे हैं। लेकिन अभी तक उन्हें फ्लैट नहीं मिल पाया है।

PIC-सोशल मीडिया

दिवालिया प्रक्रिया में फंसे प्रॉजेक्टों के फ्लैट की रजिस्ट्री की उम्मीद जगी है। दरअसल केंद्र सरकार ने आईबीसी कोड (इनसॉल्वेंसी एंड बैंक करप्सी कोड 2016 ) में संशोधन के लिए प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है। इसपर जल्द ही फैसला आ सकता है। उम्मीद की जा रही है इस प्रस्ताव पर जल्द मुहर लग सकती है। रजिस्ट्री होने से लोन मिल सकेगा और फ्लैटों की खरीद-फरोख्त शुरू हो सकेगी।

नोएडा-ग्रेनो में कई बिल्डर प्रॉजेक्ट नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल (NCLT) में चले गए हैं। ये दिवालिया प्रक्रिया में चल रहे हैं। ऐसे बिल्डर प्रॉजेक्ट में फंसे हजारों बायर्स के फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता जल्द साफ हो सकता है। इसके लिए सरकार ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंक करप्सी कोड-2016 (आईबीसी कोड) में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव आगे बढ़ाया है। एनसीएलटी में गए प्रॉजेक्टों में हजारों फ्लैट ऐसे भी हैं जिनमें लोग रह रहे हैं या शिफ्ट होने की प्लानिंग कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है बहुत जल्द इस प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है।

इन आंकड़ों पर गौर कीजिए

  • 40 से ज्यादा प्रॉजेक्ट जिले के इस समय दिवालिया प्रक्रिया में हैं।
  • 70-80 हजार तैयार फ्लैटों की रजिस्ट्री इस चक्कर में फंसी है।
  • 313 ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट कुल नोएडा व ग्रेनो अथॉरिटी में स्वीकृत हैं
  • 166878 फ्लैटों की संख्या नोएडा और 207425 फ्लैटों की संख्या ग्रेनो के प्रॉजेक्टों में स्वीकृत है।
  • 98833 फ्लैटों का ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नोएडा अथॉरिटी जारी कर चुकी हैं, इनमें से 60675 की रजिस्ट्री हुई है
  • 101514 फ्लैटों का ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट ग्रेनो अथॉरिटी जारी कर चुकी है, 93860 फ्लैटों की रजिस्ट्री ही हुई है।

IBC कोड में बदलाव से ऐसे मिलेगा फायदा

आईबीसी कोड (इनसॉल्वेंसी एंड बैंक करप्सी कोड ) में बदलाव से फ्लैट बायर्स को काफी फायदा होगा। दरअसल इसके तहत रियल एस्टेट कंपनियों के लिए प्रोजेक्ट संबंधी इंसॉल्वेंसी प्रकिया (Insolvency Process) होगी, न कि पूरी कंपनी पर केस चलेगा। पूरी कंपनी के आईबीसी के दायरे में आने से बाकी घर खरीदारों के हितों को नुकसान होता है। कोड में इस बदलाव से कई तरह के फायदे होंगे। एनसीएलटी में गए प्रॉजेक्टों में हजारों फ्लैट ऐसे भी हैं जिनमें लोग रह रहे हैं या शिफ्ट होने की प्लानिंग कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है बहुत जल्द इस प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। आईबीसी कोड-2016 के इस प्रस्ताव पर यदि मुहर लग जाती है तो नोएडा ग्रेनो में हजारों बायर्स की रजिस्ट्री के रास्ते तुरंत खुल जाएंगे।

80 हजार से ज्यादा फ्लैटों की रजिस्ट्री फंसी

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में इस समय 70 से 80 हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री फंसी हुई है। वहीं 40 से ज्यादा प्रॉजेक्ट इस समय दिवालिया प्रक्रिया में हैं। इस समय 313 ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट नोएडा और ग्रेनो अथॉरिटी में स्वीकृत हैं। नोएडा में 166878 फ्लैट और ग्रेटर नोएडा में 207425 फ्लैट प्रॉजेक्टों में स्वीकृत किए गए हैं। 98833 फ्लैटों का ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नोएडा अथॉरिटी जारी कर चुकी है। इनमें से 60675 की रजिस्ट्री हुई है। वहीं 101514 फ्लैटों का ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट ग्रेनो अथॉरिटी जारी कर चुकी है। 93860 फ्लैटों की रजिस्ट्री ही हुई है।

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