सैकड़ों बच्चों को फ्री IAS/PCS बनाने वाले PCS अधिकारी की कहानी

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ये टिप्स आपको बना सकते हैं IAS/PCS

हमारे खास कार्यक्रम ‘एक मुलाकात’ में आज हम आपको एक ऐसे ही मल्टीटैलेंटेड शख्सियत से मिलवाने जा रहे हैं जो खुद ना सिर्फ PCS अफसर हैं बल्कि बिना फीस लिए अभी तक सैंकड़ों बच्चों को प्रशासनिक अधिकारी बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं वाणिज्य कर विभाग में तैनात असिस्टेंट कमिश्नर भास्कर सिंह की। सर स्वागत है आपका खबरीमीडिया पर।

सर सिविल सर्विसेज का ख्याल कैसे आया ?

मैंने सिविल सर्विसेज इसलिए नहीं चुना कि मुझे इसमें करियर बहुत अच्छा लग रहा था। बल्कि इसलिए इस फील्ड में आया क्योंकि मुझे पढ़ने का शौक था, चीजों को करीब से जानने, सोचने और समझने का शौक था। क्योंकि इसमें आप इतिहास भी पढ़ते हैं, अर्थशास्त्र का भी ज्ञान रख रहे हैं…साइंस की नॉलेज के साथ आपका ध्यान इंटरनेशनल रिलेशन पर भी जा रहा है। पढ़ाई के दौरान आपकी राजनीतिक समझ भी बढ़ती है। इस फील्ड की सबसे बड़ी खासियत यही है। 

जॉब के अलावा आपका सामाजिक योगदान

यूपी के हापुड़ में राजकीय IAS/PCS कोचिंग सेंटर है। जिसमें बच्चों को सिविल सर्विसेज की तैयारी करवाई जाती है। मैं उसी संस्थान से जुड़ा हुआ हूं। इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत रूप से भी बहुत सारे लोग मार्गदर्शन के लिए इस संस्थान से जुड़े हुए हैं।

सिविल सर्विसेज की तैयारी के बारे में बताइए। बच्चों को कितने घंटे पढ़ना चाहिए ?

टाइम का कोई कैलकुलेशन नहीं है। जब तक मन लगे तब तक पढ़िए। क्योंकि जब इंटरेस्ट डेवलप हो रहा है तो इंसान खुद ही पढ़ना जारी रखता है। अगर आप मन लगाकर 5 घंटे भी पढ़ाई करते हैं तो ये काफी होता है। हालांकि एक्जाम से ठीक पहले पढ़ाई के घंटे बढ़ा देना चाहिए।

बच्चों को सिविल सर्विसेज की तैयारी कब से शुरू करनी चाहिए ?

जितनी जल्दी हो सके। क्योंकि सिविल सर्विसेज बहुत ही बड़ा क्षेत्र है। ये एक ऐसा फील्ड है जिसमें स्टूडेंट को हर एरिया की नॉलेज रखनी जरूरी हो जाती है।

ऐसा अक्सर सुना जाता है कि साइंस के स्टूडेंट सिविल सर्विसेज एग्जाम को जल्दी क्रैक कर लेते हैं। उसके मुकाबले आर्ट्स के स्टूडेंट को एग्जाम पास करना थोड़ा टफ हो जाता है। क्या वाकई ऐसा है

काफी हद तक ये बात सही भी है। इसके पीछे की बड़ी वजह है सब्जेक्ट। साइंस का चुनाव करने वाले स्टूडेंट सबसे ज्यादा ब्रिलियंट माने जाते हैं। उसके बाद नंबर आता है कॉमर्स के स्टूडेंट का। और जो इन दोनों में खुद को खरा नहीं समझ पाते वो आर्ट्स सब्जेक्ट का चुनाव करते हैं। इसलिए सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले ऑर्ट्स स्टूडेंट की संख्या सबसे ज्यादा होती है। दूसरी वजह ये है कि साइंस का स्टूडेंट सांइटिफिक अप्रोच के साथ पढ़ाई करता है। इसलिए ऐसे बच्चों में तार्किक क्षमता ज्यादा होती है। हालांकि ऐसा नहीं कि ऑर्ट्स के बच्चे कमजोर होते हैं। उनमें से एक वर्ग बौद्धिक स्तर पर बहुत तेज होता है। लेकिन औसत स्टूडेंट में वो टेंपरामेंट नहीं होता जो साइंस के स्टूटेंड में होता है।

ऐसा कहा जाता है कि साइंस के स्टूडेंट ऑर्ट्स के स्टूडेंट के मुकाबले एडमिनिस्ट्रेशन लेवल पर कुछ कमजोर होते हैं। आपकी राय

नहीं ऐसी बात नहीं है। ये पर्सनाल्टी टू पर्सनाल्टी निर्भर करता है। अब इसके पीछे की वजह जान लीजिए। कुछ सालों से एग्जाम के नेचर में बदलाव आ गया है। अब इसमें C-SAT( सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट) है। आज से 4-5 साल पहले इसमें इथिक्स(Ethics) का पेपर भी जोड़ा गया है। इस सबजेक्ट की सबसे खास बात ये कि इसमें सवाल बेहद प्रैक्टिकल होते हैं- मसलन “अगर ऐसा हुआ तो आप क्या करेंगे” … ऐसे में चाहे स्टूडेंट साइंस का हो या आर्ट्स..जो इस कंपीटिशन को क्वालिफाई करके आगे निकल रहा है। उनमें वो क्वालिटी भी है और प्रेशर को हैंडल करने की कैपेबिलिटी भी। बाकी ट्रेनिंग में बाकी सारी चीजें क्लीयर कर दी जाती है।

पैरेंट्स बच्चों को सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए कैसे अप्रोच करें ?

इसमें सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरुत है कि  बच्चे अपना निर्णय खुद कर लें ये अच्छी बात नहीं है। क्योंकि बच्चों के पास अनुभव नहीं होता। इसलिए बच्चों के साथ पैरेंट्स की भागीदारी बेहद जरूरी है। साथ ही इसमें काउंसर की भूमिका भी अहम होती है। 

इस फील्ड में अपना करियर बनाने की सोच रखने वाले स्टूडेंट को किस तरह के सब्जेक्ट का चुनाव करना चाहिए ?

हर सब्जेक्ट हर वक्त बढ़िया नंबर नहीं देते। इसलिए जो सबजेक्ट मौजूदा वक्त में हिट हो रहा हो, जिसका सिलेबस छोटा हो, जिसको पढ़ने में आपका इंटरेस्ट हो, जिसमें आपका अप्रोच ठीक बैठ रहा हो, वहीं सब्जेक्ट चुनना ज्यादा फायदेमंद होता है। ऐसे में बिना इंटरेस्ट वाले सबजेक्ट से बचना चाहिए।

कहते हैं अंग्रेजी मीडियम के छात्र, हिंदी मीडियम के छात्रों पर ज्यादा हावी रहते हैं। आप क्या सोचते हैं

आपको बता दूं कुछ समय से कोचिंग का वर्चस्व टूटा है। क्योंकि अच्छे से अच्छा कंटेट हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ऑनलाइन उपलब्ध है। पढ़ाई के लिए एक से एक बढ़िया वेबसाइट मौजूद हैं। इससे ये भ्रांति खत्म हो गई कि आपको दिल्ली आकर या फिर इलाहाबाद जाकर तैयारी करनी है। पहले छात्रों को ये भी पता नहीं होता था कि सिविल सर्विसेज एग्जाम की तैयारी करें तो कैसे..लेकिन मौजूदा वक्त में टैक्नोलॉजी ने सबकुछ बहुत आसान कर दिया है। वेबसाइट पर आप ना सिर्फ अच्छा कंटेट पढ़ सकते हैं बल्कि उसे प्रिंट भी कर सकते हैं।

हापुड़ राजकीय IAS/PCS इंस्टीट्यूट के बारे में बताइए

ये उत्तरप्रदेश सरकार का इनिशिएटिव है। अभ्यर्थी यहां छात्रावास में रहकर एग्जाम की तैयारी कर सकते हैं। इस संस्थान की सबसे खास बात ये कि यहां कॉम्पीटीशन की तैयारी ट्रेडिशनल तरीके से हटकर करवाई जाती है।इसके साथ ही इस संस्थान की तरफ से इंटरव्यू की तैयारी ऑनलाइन करवाई जाती है। जिसमें रिटायर्ड सिविल सर्वेंट, जज, एडमिनिस्ट्रेटिव अफसर, छात्रों की तैयारी करवाते हैं। नतीजा ये कि हर साल दर्जनों छात्र सिविल सर्विसेज की परीक्षा क्वालिफाई कर रहे हैं।

कई बार ऐसा होता है कि कई छात्र सबजेक्ट में अच्छे नंबर लाते हैं लेकिन इंटरव्यू में फेल हो जाते हैं

जवाब- बिल्कुल सही। इसमें सबसे अहम बात है सेल्फ कॉन्फीडेंस..कई बच्चों के सबजेक्ट में अच्छे नंबर आते हैं लेकिन इंटरव्यू में अच्छे नंबर नहीं आते। ऐसे बच्चे अगर थोड़ी सी मेहनत करें तो वो सिविल सर्विसेज एग्जाम क्वालिफाई कर सकते  हैं। सबजेक्ट में अच्छे नंबर आने का मतलब ही यही है कि उनका Concept बिल्कुल क्लीयर है। इंटरव्यू इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आपको क्या आता है। ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप चीजों को इंटरव्यू बोर्ड के सामने कैसे रखते हैं। बोर्ड नंबर इस बात पर बहुत कम ध्यान देते हैं स्टूडेंट क्या कह रहा है। बल्कि उनका ध्यान इस बात पर ज्यादा रहता है कि छात्र अपनी Knowledge को कैसे Present कर रहा है, उसके हाव-भाव कैसे हैं। क्योंकि फील्ड में जब आप जाएंगे तो आप पर भयंकर दबाव होगा। अगर आप इंटरव्यू में दिमाग शांत रख पाते हैं तो इसका मतलब आप फील्ड में भी दिमाग शांत रख पाएंगे।

कई बार इंटरव्यू में उट-पटांग सवाल किए जाते हैं। मसलन आप कितनी सीढ़िया चढ़कर आए..कैसे आए वगैरह- वगैरह..इसके पीछे बोर्ड मेंबर की मंशा क्या होती है ?

मंशा सिर्फ एक है और वो है Presence of mind, प्रेशर झेलने की क्षमता..और डिसिजन मेंकिंग। इसमें आप खरा उतरने के बाद ही जंग जीत सकते हैं।

सर आपके सब्जेक्ट क्या रहें ?

मैंने सिविल सर्विसेज में हिस्ट्री और एंथ्रोपोलोजी सब्जेक्ट लिया था। वैसे मैं कैमिस्ट्री में पोस्ट ग्रैजुएट हूं।

क्या आपके पैरेंट्स चाहते थे कि आप सिविल सर्विसेज में आएं ?

एक दिलचस्प कहानी है। मेरा मन पारंपरिक पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल नहीं लगता था। सिलेबस के अलावा बाकी चीजें पढ़ना मुझे अच्छा लगता था। मेरे पैरेंट्स इस बात से बेहद नाराज रहते थे। उन्हें लगता था कि मैं 10वीं भी पास नहीं कर पाउंगा। लेकिन मैंने सारे मिथ तोड़ दिये।

परिवार के योगदान के बारे में बताइए

आपको बता दूं मेरी पत्नी भी जॉब में हैं। वो इनकम टैक्स विभाग में कार्यरत हैं । ख़ास बात ये है कि दोनों में अंडरस्टैंडिंग अच्छी है। जिदंगी की गाड़ी इसी वजह से दौड़ रही है। 

सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले छात्रों को संदेश

ये फील्ड थोड़ा अलग है। चुनौतियां ज्यादा है। ऐसे में इसे करियर तभी बनाएं जब आप में प्रेशर झेलने की क्षमता हो। सिर्फ फील्ड की चमक-दमक देखकर इसमें करियर बनाने की बिल्कुल भी ना सोचें।

सर खबरी मीडिया से बात करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया

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