भोपाल के पत्रकार अविनाश का यूं चले जाना…

Spread the love

“मैं कैंसर को मात दूंगा, मैं वापस आउंगा, नए साल में नई उम्मीद के साथ नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत होगी”…ये आखिरी शब्द थे अविनाश श्रीवास्तव के।

एक जिंदादिल इंसान, खबरों पर जबर्दस्त पकड़ रखने वाला पत्रकार 8 महीने में जिंदगी की जंग हार गया। और तन्हा छोड़ गया अपना परिवार जिसमें बुजुर्ग मां-पिता के अलावा दो भाई बहन हैं। इसके पहले अविनाश कोरोना की चपेट में भी आए थे लेकिन उन्होंने इस महामारी को मात दे दी थी, लेकिन वो जानलेवा कैंसर को नहीं हरा पाए।

‘दैनिक भास्कर’, भोपाल में डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर काम कर रहे अविनाश श्रीवास्तव रविवार 27 मार्च को हमेशा-हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गए। अगस्त महीने में अविनाश को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का पता चला।

लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अविनाश को गले का कैंसर था।  हालांकि, जब तक इस बीमारी का पता चला, काफी देर हो चुकी थी और कैंसर चौथे स्टेज में पहुंच चुका था। भोपाल के जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल( Jawaharlal Nehru cancer hospital & research Centre) में अविनाश का इलाज शुरू हुआ। एक के बाद एक कीमोथेरेपी भी अविनाश का हौसला नहीं तोड़ पाई।

दर्द जानलेवा था लेकिन अविनाश उसे सहते गये, किताबों को अपना साथी बनाया।

अविनाश को उम्मीद थी कि वो कैंसर को मात देकर दमदार वापसी करेंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। और यारों का यार अविनाश अपने दोस्तों, अपने परिवार से रुखसत हो गया।

‘दैनिक भास्कर‘, भोपाल(Dainik Bhaskar Bhopal) में लंबे वक्त से काम कर रहे अविनाश डिजिटल विंग के साथ वह नेशनल न्यूज रूम (NNR) में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे। इसके पहले करीब एक साल तक अविनाश ‘पीपुल्स समाचार‘ (Peoples Samachar) में न्यूज एडिटर के तौर पर काम कर चुके थे। अविनाश ने ‘प्रदेश टुडे’ (Pradesh Today) मीडिया ग्रुप में भी डिप्टी न्यूज एडिटर के तौर पर काम किया था।

पत्रकारिता के अलावा अविनाश पढ़ने-लिखने के काफी शौकीन थे। नई किताब उनके लिए अच्छे दोस्त की तरह थी। इसके अलावा अविनाश समाज सेवा भी खूब करते थे। हर साल वो गरीब बच्चों को किताब, कॉपी बांटा करते थे ताकि उनकी पढ़ाई हो सके। अविनाश की जुबां पर अक्सर एक ही बात हुआ करती थी कि मेरे भाई-बहन मेरे माता-पिता मेरे लिए सबकुछ हैं, बस इन्हीं के लिए कुछ कर गुजरना है। आपको एक बात बता दें कि अविनाश को अपने पत्रकारिता पेशे और परिवार से इतना प्यार था कि उन्होंने शादी तक नहीं की।

अविनाश श्रीवास्तव के निधन से पत्रकारिता जगत को बड़ी क्षति पहुंची है। ईश्वर उनके परिवार को दुख सहने की शक्ति दे। साथ ही मध्यप्रदेश के पत्रकारों, अविनाश से जुड़े साथियों और शिवराज सरकार से अपील है कि वो दुख की इस घड़ी में अविनाश श्रीवास्तव के परिवार की मदद के लिए आगे आएं  ताकि उनके भाई-बहनों की पढ़ाई और बुजुर्ग माता-पिता का भरन-पोषण हो सके।

Read: Avinash Shrivastava, Senior journalistDainik Bhaskar bhopalkhabrimedia

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *